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पाक व्यापारी भारत से नाखुश

दिल्लीः14 नवंबर को नई दिल्ली में अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेले का आयोजन किया गया। इस व्यापार मेले में दुनिया भर से कई देशों ने भाग लिया। जिनमे पाकिस्थतन भी है । पाकिस्तान और भारत का रिश्ता बहुत ही अनोखा है। 1947 के बाद भारत और पाकिस्तान दो देश हो गये इस दुरी के बावजूद भारत और पाकिस्तान के लोगो के बीच प्यार बना हुआ हैं।

ताहिर महमूद 37 वर्ष कराची से गोमेद पत्थर प्राचीन विक्रेता कहते है । इस बार व्यापार मेला में केवल छोटे छोटे आइटम ही लोग खरीद रहे है । महंगी वस्तुओ की माँग नही हैं। इस साल मैं अपने खर्च अर्जित करने मे सत्क्षम नही हूँ। मुझे अपना सामान वापस पाकिस्तान ले जाना पड़ेगा
कराची से शाहिद खान अलहज बंदु खान के मालिक है। वे कवाब ,पराठा ,हलवा और चिकन टिक्का बेचते है। ये उनका खानदानी पेशा हैं। ये उनकी चौथी पीढी है जो इस पेशे को चला रही है। वे कहते है हमे इस समय काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा हैं। हम इस व्यपार शुरू पोने के छ: दिन बाद अपना स्टाल लगा रहे है
इन सभी कड़ी अनुभवो के बावजूद सीमा पार से सभी प्रदर्शक प्यार और स्नेह को स्वीकार करते है। ज्यादातर व्यापारी पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में रह रहे है उन्हे यहाँ अपने देश जैसा ही अनुभव हो रहा हैं। यहा के खाना कपड़े संस्कृति में कोई फर्क नही है   उनमें से कुछ के रिशतेदार भारत में रहते है और कुछ  भारत  पाकिस्तान   बटबारे के दौरान पाकिस्तान चले गये थे। उनके परिवार मेरठ में रहते है। लेकिन उनके कुछ परिवार अभी भी भारत में रहते है। इनके चचेरे भाई मेरठ के मोहम्द आशिफ उसे कवाब स्टाल में मदद कर रहा है।

मुझे लगता है जैसे मै अपने घर में हूँ,  मै लाहोर मे हूँ मेरे दादा पटियाला मे पैदा हुए थे लेकिन वह विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गये थे।     इसलिए   भारत हमेशा मेरे दिल मे रहता है। करीब 38 साल मोहम्द जावेद जो पारपंरिक जुते के विक्रेता हैं वे कहते है कि हम विभाजन के दौरान  पाकिस्तान स्थानतरित हो गये हैं।

29 साल पुराने शफीक अहम्द, काशमीर शाल विक्रेता पाकिस्तान के श्वात से कहते है ।भारतीय उसी तरह पाकिस्तान से प्यार करते हैं जैसे पाकिस्तान भारतीयों से करता हैं। मै चाहता हूँ अधिक से अधिक लोगों को सीमा पार से आने जाने की अनुमति दी जाए, यह दोनो देश के लिए अच्छा होगा।

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