See the world through my eyes….

Posts tagged “Priyanka Kumari

Chath Pooja

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Purana Qila (Old Fort) in Delhi

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Delhi Queer Parade

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Ross Island, Andaman & Nicobar Islands

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Cellular Jail, Port Blair (Kaala Pani ki saja)

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Flowers

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A moment of love, belonging and celebration

A grand father playing holi with grand son .


दिल्ली में महिलाओं कि स्थिति

पिछले कुछ सालों में दिल्ली मे महिलाओं के साथ हो रहे छेडछाड और बलात्कार के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आ रहे है। दिल्ली जो की भारत की राजधानी है वहाँ लडकीया सुरक्षित नही है हाल मे ही धौला कुआँ मे एक पूर्वोत्तर क्षेत्र की लड़की के साथ बलात्कार हुआ है। धौला कुआँ केस जहाँ पुलिस को काफी मशक्कत के बाद सफलता हासिल हुई है ।
दिल्ली मे अपराधिक मामले तेजी से बढ़ रहे है इसका मुख्य कारण हरियाणा, फरीदाबाद, गुड़गाव ,नोएडा जैसे आस पास के इलाको से अपराधी आते है और अपराध करके चले जाते है । और पुलिस के पास इसका कोई जवाब नही होता है।वह केवल हाथ पर हाथ धरे बैठ रहती है।
वही दुसरी तरफ काल सेंटर कम्पनी चाहे तो ऐसी वारदात होने से रोक सकती हैं। जब वे अपने ड्राईवर कि नियुक्ति करते है तो उनके पिछले रिकार्ड की जाचं करे क्योंकि कई बार एसे हादसो मे इनका भी हाथ होता हैं।
एक तरफ जहां दिल्ली को महानगर बोला जाता है वही दूसरी तरफ दिल्ली में लड़कीया सुरक्षित नही है।
दिल्ली में 11 महीनों में भारतीय पूर्वोत्तर लड़कीयो के साथ बलात्कार के 15 मामले दर्ज हुए है,और साथ मे महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले भी सामने आ रहे है। दिल्ली में भारत के हर कोने से लड़किया पढ़नें आ रही हैं जो अपने भविष्यं संवारने के सपनों के साथ दिल्ली में कदम रखती है,अगर वो ऐसी भयानक मामलो का शिकार हो जाती है तो उनके सपने काचँ की तरह टुट जाते हैं। न केवल बलात्कार बल्कि बसों और मेट्रो मे भी महिलाओ और लडकीयो के साथ छेड़छाड़ के मामले सामने आ रहे हैं। लडकीयो को अकले घर से बाहर दिन मे भी निकले में डर लगने लगा है।
एक तरफ जहां दिल्ली की मुख्यमत्रीं एक महिला है। वही दुसरी तरफ दिल्ली की लडकीया सुरक्षित नही है । मुख्यमत्रीं का कहना है दिल्ली की लड़कीयों को अपना ख्याल खुद ही रखना चाहिए । उन्हे रात को घर से बाहर नही निकलना चाहिए और वे ढंग के कपडे पहन कर निकले । जहा एक तरफ हम स्वतत्रं होने की बात करते है वही दूसरी तरफ हमें घर से ना निकले की हिदायते दी जाती है क्या यंही हमारी आजादी हैं। आजादी के 63 साल बाद भी हमे घर से न निकलने की हिदायत देना हमें तालिबानी शासन की याद दिलाता है।


बजट 2011

इस साल भी 28 फरवरी को बजट पेश किया गया। इस साल का बजट नौ लाख बत्तीस हजार चार सौ चालिस करोड़ है। इस बार बजट में सरकार ने किसानों को राहत देने की कोशिश की है। इस बजट में सरकार ने राष्ट्रीय कृर्षि विकास के लिए 7860 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है।
इस साल हरित क्रांति के अंतर्गत 400 सौ करोड़ रुपये पूर्वोत्तर क्षेत्र में चावल की खेती के विकास के लिए देने की घोषणा की है। इन क्षेत्रों मे बिहार, आसम, बगांल, उड़ीसा, छत्तीगढ, झारखंड, और पूर्वी उत्तरप्रदेश शामिल है ।
सरकार ने किसानो के लिए 7 प्रतिशत ब्याज दर से कर्ज देने की घोषणा के साथ ही समय वापसी के कर्ज पर 3 प्रतिशत छूट भी देने का फैसला किया है। इस बार के बजट में गांवों के विकास पर भी ध्यान दिया गया है, अब दौ हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में बैंक की सुविधा दी जाएगी। गांव मे दुरसंचार के लिए सरकार ने दस हजार करोड़ रुपये देने का फैसला किया है।
मेरठ के रहने वाले सुखवीर सिंह का कहना है कि सरकार ने गरीबों के लिए इस साल बहुत कुछ करने की कोशिश कि है । सरकार ने हम किसानों को ध्यान में रख कर बजट बनाया है। सुखवीर इस बात से भी खुश है कि पेंशन योजना 200 रुपये से बढ़ा कर 500 रुपये कर दिया गया है
गरीबो को केरोसिन तेल मे नकद सब्सिडी पर भाजपा के प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद का कहना है जब तक इस स्कीम को लागू नही किया जाता तब तक हम कुछ नही बोल सकते है
सेना से रिटायर सुबेदार मेजर हरीशचन्द्र ने आगनवाड़ी कर्मचारीयों के मानदेय दुगना करने पर खुशी जताई उन्होने कहा आगनवाड़ी मे काम करने वाली महिलाएं बहुत मेहनती होती है ।ये अनपढ़ गरीब महिलाओ के स्वास्थ से संबधित सभी जानकारी और जरुरतो को पूरा करने मे मदद देती है सरकार की लाभकारी योजनाओ का प्रचार भी इन्ही के कन्धों पर होती है । मानदेय बढ़ने से ये लोग जोश से काम करेगे


पाक व्यापारी भारत से नाखुश

दिल्लीः14 नवंबर को नई दिल्ली में अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेले का आयोजन किया गया। इस व्यापार मेले में दुनिया भर से कई देशों ने भाग लिया। जिनमे पाकिस्थतन भी है । पाकिस्तान और भारत का रिश्ता बहुत ही अनोखा है। 1947 के बाद भारत और पाकिस्तान दो देश हो गये इस दुरी के बावजूद भारत और पाकिस्तान के लोगो के बीच प्यार बना हुआ हैं।

ताहिर महमूद 37 वर्ष कराची से गोमेद पत्थर प्राचीन विक्रेता कहते है । इस बार व्यापार मेला में केवल छोटे छोटे आइटम ही लोग खरीद रहे है । महंगी वस्तुओ की माँग नही हैं। इस साल मैं अपने खर्च अर्जित करने मे सत्क्षम नही हूँ। मुझे अपना सामान वापस पाकिस्तान ले जाना पड़ेगा
कराची से शाहिद खान अलहज बंदु खान के मालिक है। वे कवाब ,पराठा ,हलवा और चिकन टिक्का बेचते है। ये उनका खानदानी पेशा हैं। ये उनकी चौथी पीढी है जो इस पेशे को चला रही है। वे कहते है हमे इस समय काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा हैं। हम इस व्यपार शुरू पोने के छ: दिन बाद अपना स्टाल लगा रहे है
इन सभी कड़ी अनुभवो के बावजूद सीमा पार से सभी प्रदर्शक प्यार और स्नेह को स्वीकार करते है। ज्यादातर व्यापारी पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में रह रहे है उन्हे यहाँ अपने देश जैसा ही अनुभव हो रहा हैं। यहा के खाना कपड़े संस्कृति में कोई फर्क नही है   उनमें से कुछ के रिशतेदार भारत में रहते है और कुछ  भारत  पाकिस्तान   बटबारे के दौरान पाकिस्तान चले गये थे। उनके परिवार मेरठ में रहते है। लेकिन उनके कुछ परिवार अभी भी भारत में रहते है। इनके चचेरे भाई मेरठ के मोहम्द आशिफ उसे कवाब स्टाल में मदद कर रहा है।

मुझे लगता है जैसे मै अपने घर में हूँ,  मै लाहोर मे हूँ मेरे दादा पटियाला मे पैदा हुए थे लेकिन वह विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गये थे।     इसलिए   भारत हमेशा मेरे दिल मे रहता है। करीब 38 साल मोहम्द जावेद जो पारपंरिक जुते के विक्रेता हैं वे कहते है कि हम विभाजन के दौरान  पाकिस्तान स्थानतरित हो गये हैं।

29 साल पुराने शफीक अहम्द, काशमीर शाल विक्रेता पाकिस्तान के श्वात से कहते है ।भारतीय उसी तरह पाकिस्तान से प्यार करते हैं जैसे पाकिस्तान भारतीयों से करता हैं। मै चाहता हूँ अधिक से अधिक लोगों को सीमा पार से आने जाने की अनुमति दी जाए, यह दोनो देश के लिए अच्छा होगा।


“ हाँ मैं समलैगिक हु। किसी दुसरे ग्रह से आय़ा प्राणी नही हुँ।“

दिल्लीः रविवार 28 नवंबर 2010 को दिल्ली में तीसरी क्वियर प्राइड परेड का आयोजन किया गया । यह परेड बाराखम्भा रोड से होते हुए जंतर-मंतर पर जा कर समाप्त हुई। रंग-बिरगें कपडे पहने हुए ,चेहरे पर विभिन्न प्रकार के नकाब लगाये हुए, बैंडबाजे की धुन और ढोलक की थाप पर नाचते हजारों लोगों ने इस परेड में हिस्सा लिया ।

इस परेड में समलैंगिको के अलावा उनके परिवार के सदस्य एव दोस्तों ने भी उनका सर्मथन करने के लिए क्वियर प्राइड परेड में हिस्सा लिया । यह क्वियर प्राइड मार्च यानि समलैंगिकों की सलाना परेड थी, जिसे दिल्ली क्वियर गर्व उत्सव 2010 का नाम दिया गया ।

गौरतलब है कि इंडियन पैनल कोड की धारा 377 के अनुसार पहले समलैंगिकता को एक अपराध माना जाता था, लेकिन 2 जुलाई 2009 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इस नियम में बदलाव किया। उनके अनुसार निजी दायरे में रजामंदी के आधार पर वयस्क लोग समलैगिक यौन सबंध बनाते हैं तो इसे अपराध और गैरकानुनी नहीं माना जाएगा ।

गे ,कोठी ,लेस्बियन,क्वीन,डाइक,बाईसेक्शुअल ,हिजरा ,बुच,पंथी फेम्मे,फेयरी सभी क्वियर में आते है

समलैंगिकों के अधिकारों के लिए लडने वाले एक समाजिक कार्यकर्ता गौतम भान कहते है  इंडिया के अंदर अभी भी बहुत जगहों पर भेदभाव होता है लेकिन अब समाज बदल रहा है। हम चाहते है कि जिस तरह हमने संर्घष किया है। उस तरह से हमारी अगली पीढी को संर्घष ना करना पडे।

विमल भाई (नेशनल एलाईस पीपूल्स मूवमेन्ट) के कार्यकर्ता का नारा है  “बदल दो समानता की परिभाषा, मैं भी हूं यहां, मैं भी समलैंगिक हूं”

हिलोल दत्ता का कहना है “ लोग यहां खुले विचार से सर्मथन के लिए आते हैं।“  पिछले साल मैं यहां पर धरना प्रर्दशन के लिए आई थी लेकिन इस साल मैं यहां जश्न मनाने आई हूं। यह परेड निश्चित रुप से दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में क्वियर समुदाय में आत्मविश्वास पैदा करेगी ।

जयपुर का रहने वाला दिव्या (देव) कहता है  हमारे समाज मे गे को बुरी नजर से देखा जाता है। हम भी तो इस समाज का हिस्सा हैं। हमारी भी कुछ इच्छाएं हैं। समलैंगिको के साथ अत्याचार हो रहा हैं । पहले मैं नौकरी करता था लेकिन जब से मेरे दफ्तर में यह पता चला है कि मैं समलैंगिक हूं, मुझे नौकरी से निकाल दिया गया।

वही दूसरी तरफ सुषमा और सुरभी (बदला हुआ नाम) कहते है बडे शहर में फिर भी इसे स्वीकार कर लिया गया हैं। पर छोटे शहर या गांव  में हमें घृणा की दृष्टी से देखा जाता है। हमारे प्रति लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं है।

हालांकि कुछ परिवारों ने अपने बच्चों को अपनाया भी है। सम्बध उन खुशनसीब समलैंगिको में से एक है। जिन्हें उनके परिवार ने स्वीकार किया है।  सम्बध के परिवार वाले उसका सर्मथन के लिए क्वियर परेड में भी आए हुए थे।

सम्बध के साथ इस परेड में शामिल उसकी दादी का कहना है मैने इसे इसलिए स्वीकार किया है, क्योकि इन्हें भी आजादी व समानता से जीने का अधिकार है।

हालैंड से आए समोर्ड कोक कहते है यहां लोग बडी तादाद में आए है। जिससे पता चलता है कि समाज के अन्दर बदलाव आ रहा है।

समलैगिंक भरत का कहना है जब मैं पहली बार परेड में आया था। मैने नकाब लगा कर आया था और बहुत रोया था । लेकिन इस बार मैं बिना नकाब के आया हूं। मैं चाहता हूं कि एक दिन ऐसा आए जब हम सब बिना नकाब के यहां आए।